मानसून- किसी की मत सुन.

मानसून की भविष्यवाणी सुन कर आकाश ताकना हिमाक़त ही है. अव्वल तो हम मानसून को बारिश का पर्याय समझते हैं पर अक़सर पाते हैं कि अपने हिस्से के आसमान में मानसून की आमद हो जाने की पूरी पुष्टि हो जाने के बाद भी हफ़्तों ऊपर सूरज के सिवा कोई टहलता नज़र नहीं आता. तब याद आता है कि मानसून के पूर्वानुमान में भरोसेमंद आंकड़ों के हवाले से ये निष्कर्ष निकाला गया था की सत्तर फीसदी संभावना इस बात की है कि  इस साल बारिश तिरानबे फीसदी ही होगी. हम इस गूढ़ निष्कर्ष की मीमांसा करने लगते हैं और मानसून फिजां में मौजूद होकर भी लापता बना रहता है.
मानसून आखिर प्राकृतिक नियमावली के अनुसार चलने वाली एक व्यवस्था ही है- ऐसा मान कर एक आम भारतीय आदमी के नाते मैंने अनुमान लगाया कि आखिर इस मामले में हुआ क्या होगा. मुझे ये मिला-
उम्मीद से कुछ पहले ही इशू हो गया सैंक्सन आर्डर लेकर मानसून भारत के आकाश में बादलों का समुचित स्टॉक लेकर नियत रूटों पर निकला और ज़रूरी तामझाम यानी गरज के साथ छींटे-बौछारें करने लगा. बेध्यानी में कुछ कोटे की हेर-फेर से सूखे इलाकों में भी बौछारें गिर गईं, जिससे वहां बाढ़ आ गई. दो चार रोज़ ये झमाझम चली ही थी कि सन्देश आया (किस चीज़ पर इसका आप अनुमान लगाएं- सब मैं ही करूँगा!) कि डिलीवरी रोक दो, सैंक्सन में गड़बड़ है.
हैरान-परेशान मानसून राजधानी इन्द्रपुरी में वर्षा-निदेशालय पहुंचा, जहां द्वारपाल ने रूटीन-भाव से साहब के मीटिंग में होने की सूचना दी. ..अब आज तो क्या मिलेंगे..सोचते हुए मानसून घर आकर चार रोज से पानी उलीचते थक गई कमर सीधी करने लगा. उधर बादलों ने अगले आदेश के अभाव में पहाड़ों के पास जमावड़ा लगाया और बीच बीच में हलके भी होते रहे.
अगले रोज़ साहब तो थे मगर पीए ने उसे द्वार से ही अकाउंटाध्यक्ष की ओर मोड़ दिया कि पहले गड़बड़ को वो सीधी करेंगे तभी साहब साइन करेंगे. वहां पहुँचते ही मानसून को झिड़की मिली कि इस साल का प्रस्तावित वर्षा का विवरण सही फार्मेट में नहीं है. फार्मेट कब बदला? इस सवाल पर मानसून को जाकर खुद पता लगाने को कहा गया है.
फिलहाल मानसून बारिश –कोटा निर्धारण के नए फार्मेट की तलाश में है जो अक्सर ही ऊपर के आदेश से अदला-बदला जाता है. मिल जाने पर उसे भली-भाँति भर कर पूरी प्रक्रिया से गुजरते हुए नया सैंक्सन आर्डर लेकर ही मानसून लौट पायेगा. तभी पहाड़ों में धींगा-मुश्ती करते  बादल मैदानों का रुख कर पायेंगे.
 तब तक मौसम के पूर्वानुमानों से संतोष करें

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