गठबंधन की गाठें गठबंधन, जैसा कि देश का हर ख़ासो-आम प्राणी को मालूम है, दो जुदा-जुदा छोरों के पास आकर गाँठ में बंध जाने से बनता है. जैसे छोरा-छोरी प्यार-मुहब्बत के नाम पर मंडप में धोती-दुपट्टे के छोरों का गठबंधन करवाते हैं. स्वार्थ, मौक़ा-परस्ती, सत्ता-लोलुपता, अधिकार का विस्तार आदि बाक़ी वे कारण हैं जिनसे दो अलहदा चीजों के छोर पास आकर गठबंधन में बंधने को आतुर होते हैं. प्यार की वजह से हो या ऊपर बताई गई किसी और वजह से, गठबंधन में दो प्रतीकात्मक छोरों पर रिश्ते का आरोप लगा कर गाँठ बाँध दिया जाता है. लीजिये साहब, पड़ गई रिश्ते में गाँठ, यानी गठबंधन की पवित्र भावना के साफ़ उलट मामला. पर गौर कीजिए तो शादी समेत गठबन्धन कहे जाने वाले सभी रिश्तों में शुरू से ही कुछ गांठें मौजूद रहती हैं और गठबंधन की पूरी उम्र लेकर भी नहीं खुलतीं. गठबंधनातुर व्यक्ति की गाँठ भरी-पूरी होनी चाहिए. मुहावरे वाली ये गाँठ गठरी से तालुक रखती है. अगर आप अक्ल के अंधे भी हों पर गाँठ के पूरे हों तो आपसे गठबंधन करने को उत्सुक बहुतेरे मिलेंगे. शर्त इतनी है कि गाँठ ढीली करने में आपको संकोच न होता हो. पर अक्सर ऐसा भ...